Property Rights : बिना शादी के जन्म में बच्चों को पिता की संपत्ति में हिस्सा मिलेगा या नहीं हाई कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला।।

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Property Rights : वर्तमान समय में परिवारों के बीच संपत्ति विवाद आम हो गया है। वही खासकर जब कई शादियां हुई हो आप लोगों को बता दें कि इसी क्रम में उड़ीसा हाईकोर्ट ने एक बहुत ही बड़ा फैसला सुनाते हुए अपने शब्दों में कहे हैं कि अगर किसी दूसरी शादी अवैध भी घोषित होते हैं। तो भी उसे शादी से जन्मे बच्चों को पिता की संपत्ति में पूर्ण अधिकार दिए जाएंगे।

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वहीं इसमें पिता की स्व अर्जित और पत्रक दोनों तरह की संपत्ति शामिल रहेंगे। आपको बता दें कि यह फैसला हिंदू विवाह अधिनियम और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए दिए गए हैं। आईए और जानते हैं नीचे किले के में पूरी जानकारी विस्तार से।

Property Rights : याचिका को किए गए खारिज

आप सभी लोगों को बता दें कि यह मामला एक 80 वर्षीय महिला याचिका से संबंधित थे जिसमें उन्होंने अपने मृतक पति की दूसरे पत्नी के बच्चों को संपत्ति से वंचित करने की मांग किए थे। वहीं महिला ने दावा किया कि  केवल उनकेऔर इसीलिए संपत्ति पर केवल उनके बच्चों का ही अधिकार रहेगा या है। हालांकि हाई कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिए हैं।

Property Rights : अधिनियम के तहत क्लास – 1 वारिस

आप सभी लोगों को बता दें कि कोर्ट ने अपने शब्दों में कहीं की हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 16 के तहत अवैध Void और विवाहित Voidable विवाह से जन्मे बच्चों को भी वैधानिक legitimate माने जाते हैं। ऐसे में बच्चे भी हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत क्लास -1 वारिस माने जाएंगे और उन्हें अपने माता-पिता की संपत्ति में पूरा हक मिलेंगे।

वहीं इससे पहले अक्टूबर 2021 में फैमिली कोर्ट ने 80 साल की महिला को पति की विधिवत पत्नी और वारिस मानते हुए संपत्ति में अधिकार दिए थे। वहीं इसके खिलाफ मृतक की दूसरी पत्नी ने हाईकोर्ट में अपील किए। वहीं उन्होंने अपने शब्दों में कहें कि उन्हें अपनी बात रखने का पूरा मौका नहीं दिए गए।

हाई कोर्ट ने हम फैसला सुनाते हुए किया यह स्पष्ट

आप सभी लोगों को बता दे कि हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिए की दूसरी शादी से जाने में बच्चों को पिता की संपत्ति से बेदखल नहीं किया जा सकते हैं। वही भले ही वह शादी कानूनी तौर पर वैध ना माने जाए। ऐसे बच्चों को अपने पिता की संपत्ति पर कानूनी हक बना रहेगा।

वही इस निर्णय को भविष्य में संपत्ति से जुड़े। ऐसे कई विवादों को सुलझाने की दिशा में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम माने जा रहे हैं।

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