Land Occupation : हर कोई अपने मकान, दुकान किराया पर लगाकर कमाई करना चाहता है। लेकिन किराए पर लगाने से पहले कुछ जरूरी बातों का ध्यान देना होता है, अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपकी प्रॉपर्टी हाथ से निकल जाएगी। अब हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 2014 के फैसले को पलटते हुए एक नया फैसला सुनाया है। नीचे जानिए विस्तार से।
Land Occupation : इतने साल से है प्रॉपर्टी पर जिसका कब्जा, वही माना जाएगा मालिक
बता दे कि घर का किराया एक स्थाई इनकम होता है। इसलिए लोग प्रॉपर्टी में सबसे ज्यादा इन्वेस्ट करना पसंद करते हैं। घर, दुकान या फिर जमीन खरीदने हैं, तो उसे किराए पर लगा देते हैं। कई बार मकान मालिक किराए पर दिए अपनी प्रॉपर्टी की शुद्ध नहीं ले पाते हैं। बहुत से मकान मालिक विदेश चले जाते हैं या फिर देश में रहते हुए भी अपने कामों में व्यस्त रहते हैं।
केवल उन्हें किराए से मतलब होता है जो हर महीने उनके बैंक खाते में पहुंच जाता है। लेकिन किराए पर देते समय और किराए पर लगाने के बाद मकान मालिकों को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। नहीं तो प्रॉपर्टी आपकी हाथ से निकल जाएगी।
हमारे देश में प्रॉपर्टी को लेकर कुछ नए नियम भी बनाए गए हैं। जहां लगातार 12 साल तक रहने के बाद किराएदार उस प्रॉपर्टी पर कब्जा (Land Occupation) का दावा कर सकता है। हालांकि इसके लिए कुछ नियम एवं शर्तें हैं। इतना भी आसान नहीं है लेकिन आपकी प्रॉपर्टी विवाद में आ जाएगी।
किराएदार कब कर सकता है आपकी प्रॉपर्टी पर कब्जे का दावा
अंग्रेजों का एक कानून बनाया गया है प्रतिकूल कब्जा, जिसे अंग्रेजी में Adverse Possession कहते हैं। इसके मुताबिक लगातार 12 वर्ष तक रहने के बाद किराएदार उसे प्रॉपर्टी पर कब्जा (Property Occupation) का दावा कर सकता है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट के तरफ से फैसला सुनाया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने जमीन से जुड़े हुए विवाद में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि 12 साल तक जमीन पर जिसका कब्जा होगा वहीं जमीन का मालिक बन जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने कहा कि अगर कोई 12 साल तक उसे जमीन पर रह रहा है और कोई मालिकाना हक नहीं जाता रहा है तो जिसने उसे जमीन पर कब्जा (Land Occupation) किया है, उसे उसका मालिक माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला निजी जमीन से जुड़ा हुआ है। सरकारी जमीन पर यह फैसला लागू नहीं होता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में दिए गए फैसलों को पलट दिया
बता दे कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के तरफ से जमीन को लेकर साल 2014 में दिए गए अपने ही फैसले को पलट दिया। जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस इस अब्दुल नजीर और जस्टिस एम आर शाह की बेंच ने 2014 के फैसले को पलटते हुए यह कहा कि अगर कोई भी किसी जमीन पर दवा नहीं करता है और किरदार 12 साल से लगातार उसे जमीन पर रह रहा है तो वह उसे जमीन का मालिक बन जाएगा।
आपको बता दे की साल 2014 में कोर्ट ने यह कहा था कि प्रतिकूल कब्जे वाला व्यक्ति जमीन पर कब्जे का दावा नहीं कर सकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर जमीन का मालिक कब्जाधारी से जमीन वापस लेना चाहता है तो उसे कब्जाधारी को वह जमीन वापस करना होगा।
Supreme Court Decision : सुप्रीम कोर्ट ने जमीन के कब्जे से जुड़े हुए फैसले को सुनते हुए कहा कि भारतीय कानून किसी व्यक्ति को 12 साल तक किसी जमीन पर अपना हक जताने का अधिकार पूर्णता देता है। अगर कोई जमीन विवादित है तो व्यक्ति उसे पर अपना अधिकार जताते हुए 12 साल के भीतर मुकदमा दायर कर सकता है और अदालत से उसे वापस भी पा सकता है।
बता दे की लिमिटेशन एक्ट (limitation act) 1963 के तहत निजी संपत्ति पर मालिकाना हक का दावा करने का समय 12 वर्ष तक है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले में यह स्पष्ट किया कि 12 साल तक जमीन पर कब्जा बरकरार रहने की स्थिति में मलिक की ओर से आपत्ति नहीं जताने की स्थिति में वह संपत्ति कब्जा करने वाले व्यक्ति की हो जाएगी। इसके अलावा अगर कब्जेदार को जबरन संपत्ति से निकाला जाता है तो वह 12 साल के भीतर मुकदमा दायर भी कर सकता है और अपने हितों की रक्षा कर सकता है।