EMI Bounce Rules 2025 : अगर आपने किसी बैंक से लोन लिया है और किसी कारणवश आपकी ईएमआई समय पर नहीं भर पा रहे हैं, तो आपके लिए राहत भरी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में साफ कर दिया है कि अब कोई भी बैंक किसी लोन खाते को एकतरफा तरीके से “फ्रॉड” घोषित नहीं कर सकेगा। अदालत ने कहा है कि बैंकों को कर्जदार को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका देना अनिवार्य होगा।
यह फैसला उन करोड़ों लोनधारकों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जो किसी कारणवश समय पर EMI नहीं चुका पाते और इस डर में रहते हैं कि कहीं बैंक उनका अकाउंट फ्रॉड घोषित न कर दे।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला – कर्जदार की भी होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी भी लोन खाते को फ्रॉड घोषित करने से पहले कर्जदार को नोटिस भेजना और सुनवाई का मौका देना अनिवार्य है। कोर्ट का मानना है कि एकतरफा कार्रवाई न सिर्फ कर्जदार के क्रेडिट स्कोर (CIBIL Score) को नुकसान पहुंचाती है, बल्कि उसके भविष्य के लोन लेने के अधिकार को भी प्रभावित करती है।
इसलिए अब बैंकों को पारदर्शी प्रक्रिया अपनानी होगी और कर्जदार की स्थिति को समझकर ही कोई निर्णय लेना होगा।
क्यों है यह फैसला आम जनता के लिए राहत भरा?
अब तक बैंक, डिफॉल्टर घोषित करने के बाद कई मामलों में लोन खातों को सीधे “फ्रॉड” कैटेगरी में डाल देते थे। इससे व्यक्ति का CIBIL स्कोर बुरी तरह गिर जाता था और भविष्य में कोई भी लोन लेने में दिक्कत आती थी।
EMI Bounce Rules : लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने यह नियम लागू कर दिया है कि:
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कर्जदार को पहले नोटिस मिलेगा
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उसे सुनवाई का मौका मिलेगा
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उसकी आर्थिक स्थिति और कारणों पर विचार किया जाएगा
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केवल वैध कारण होने पर ही फ्रॉड की श्रेणी में डाला जा सकेगा
क्या कहता है RBI का नियम और सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
RBI ने बैंकों को यह अधिकार दिया था कि वे जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों को “विलफुल डिफॉल्टर” घोषित कर सकते हैं और उनके लोन अकाउंट को फ्रॉड के रूप में दर्ज कर सकते हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिकार पर रोक लगाते हुए कहा कि यह कदम तभी वैध होगा जब कर्जदार को पहले उचित सुनवाई का अवसर मिलेगा।
हाई कोर्ट के फैसलों की पुष्टि
इस मामले पर पहले तेलंगाना हाई कोर्ट और गुजरात हाई कोर्ट भी सुनवाई कर चुके थे और उन्होंने कहा था कि बिना नोटिस किसी को फ्रॉड घोषित करना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी इन फैसलों की पुष्टि कर दी है, जिससे यह नियम देशभर के बैंकों पर लागू हो गया है।
बैंकों के लिए नए दिशा-निर्देश
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बैंकों को निम्नलिखित नए नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा:
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कोई भी लोन अकाउंट अब बिना नोटिस फ्रॉड घोषित नहीं किया जा सकेगा।
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कर्जदार को सुनवाई का अवसर और अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाएगा।
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यदि कर्जदार के पास वाजिब कारण हैं कि वह EMI क्यों नहीं भर पाया, तो बैंक को उन्हें सुनना होगा।
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प्रक्रिया पारदर्शी होगी और बैंकों को मनमानी से बचना होगा।
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डिफॉल्ट कैटेगरी में डालने से पहले विस्तृत जांच और संवाद आवश्यक होगा।
अगर आपकी EMI बाउंस हो जाए तो क्या करें?
अगर आप अपनी EMI समय पर नहीं भर पा रहे हैं या बाउंस हो गई है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। अब आपको बिना सुनवाई के फ्रॉड घोषित नहीं किया जाएगा। ऐसे में आप निम्नलिखित कदम उठाएं:
बैंक से तुरंत संपर्क करें:
अपनी आर्थिक स्थिति बैंक को बताएं और लोन चुकाने के लिए नई योजना (Re-payment Plan) बनाने की अपील करें।
लोन री-स्ट्रक्चरिंग का विकल्प लें:
बैंक से EMI की अवधि बढ़ाने या राशि घटाने का अनुरोध करें ताकि आपकी मासिक किस्तें कम हो सकें।
अपने CIBIL स्कोर का ध्यान रखें:
EMI डिफॉल्ट से क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है। इसलिए बैंक से संवाद बनाए रखें और समाधान खोजें।
कानूनी सलाह लें:
अगर आपको लगता है कि बैंक बिना कारण आपकी शिकायत नहीं सुन रहा है, तो किसी अनुभवी विधि विशेषज्ञ (Legal Expert) से संपर्क करें।
निष्कर्ष: आम आदमी के लिए बड़ी राहत
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन लाखों लोगों के लिए उम्मीद की किरण बनकर आया है, जो आर्थिक तंगी के चलते समय पर EMI नहीं भर पा रहे थे। अब कोई भी बैंक बिना उचित प्रक्रिया के किसी को फ्रॉड घोषित नहीं कर सकता।
इससे एक तरफ जहां आम जनता को राहत मिलेगी, वहीं दूसरी ओर बैंकों की मनमानी पर भी रोक लगेगी। यदि आप भी किसी लोन डिफॉल्ट की स्थिति में हैं, तो तुरंत अपने बैंक से संपर्क करें, अपनी स्थिति स्पष्ट करें और समाधान की दिशा में कदम उठाएं।